Where is The Holi Festival Celebrated in hindi || यह इंडिया में हर वर्ष
हिंदी पंचांग अनुसार चैत्र माह में पूर्णमा को मनाया जाता है। TO THE POINT जानकारी ||where is the holi festival celebrated in hindi
holi festival सनातन धर्म का बहुत लोकप्रिय त्योहार है। यह त्योहार इंडिया में खासतौर पर मनाया जाता है। holi को रंगो का त्योहार भी कहा जाता है। यह त्योहार इंडिया में हर वर्ष हिंदी पंचांग के अनुसार चैत्र माह में पूर्णमा को मनाया जाता है। सनातन धर्म में पहले पहल इसको शूद्रों का त्योहार मन जाता था। इस दिन सभी एक साथ मिलकर एक दूसरे को रंग लगाते है। बीच में एक दौर ऐसा भी आया जब इस त्योहार में लोग एक दूसरे पर गंदगी फेंकने लगे। लेकिन आधुनिक युग में लोगो को बहुत सी परेशानी होने लगे जिसके चलते लोगो ने खुद गंदगी को छोड़ रंगो को ज्यादा महत्तता देनी शुरु की। दूसरे त्योहार की तरह holi को भी सब ने मिलकर मनाना शुरु कर दिया है। holi के साथ एक दंत कथा भी बहुत प्रचलत है।
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दंत कथा
किसी समय एक हिरन्याक्श्यप नाम का दंतो का राजा था। यह बहुत बलवान और शक्तिशाली था। वह राजा भगवान् को नहीं मानता था और देवतो से बहुत घृणा करता था। उसकी सोच यह बन गई थी की वह खुद को ही भगवान् मानने लगा था। उसने लोगो पर इस बात का दबाव बनाना शुरु कर दिया के उसको ही भगवान् मान कर उसकी पूजा की जाए। वह इतना बलवान था की उसको वर मिला था की कोई ना -अंदर , ना -बाहर ,ना -दिनमें, ना -रात में , ना – नर , ना नारी , न- जानवर, न- पक्षी कहने को कोई भी उसे मार नहीं सकता था। इसी बात का ही उसे गुमान हो गया था।उसके घर में एक पुत्र पैदा हुआ। प्रहलाद उसका नाम रखा गया। प्रहलाद ने छोटी आयु में ही भगवान् की भगति कर भगवान को पा लिया। दूसरी तरफ उसका पिता जिसे यह बात बिलकुल भी न-गवारा थी की उसका पुत्र ही उसकी बगावत करे।
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उसने प्रहलाद को बहुत समझाया बहुत धमकाया लेकिन वह नहीं माना। प्रहलाद की माँ ने उसे बहुत समझाने का यतन किया लेकिन सब बेअर्थ हुआ। अंत उसके पिता ने प्रहलाद को जान से मारने की ठानी। हिरन्याक्श्यप ने उसको पहाड़ से फिंकवाया ,वह वहां से बिना किसी खरोंच के बच निकला। हिरन्याक्श्यप की एक बहन होलिका थी। रिश्ते में वह प्रहलाद की भूआ लगती थी। होलिका को यह वर था की कितनी भी प्रचंड अग्नि हो वह उसको नहीं जला सकती थी। हिरन्याक्श्यप ने सोचा कियो न प्रहलाद को उसकी भूआ की गोद में बिठा कर जला दिया जाए। उसने ऐसा ही किया। बेदी बनाई गई उस पर होलिका की गोद में प्रहलाद को बिठा दिया गया। बेदी को आग लगा दी गई। होलिका यह भूल गई थी की वह वर का दुरपजोग नहीं कर सकती थी।
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प्रहलाद तो भूआ होलिका की गोद में बैठ भगवान की भगति में लीन हो गया। जैसे अग्नि बढ़ने लगी होलिका जलकर राख हो गई और प्रहलाद भगवान् की भगति कर वहां से भी बच निकला। उस दिन से ही प्रहलाद की भगति के चलते होलिका दहन से holi festival मनाया जाने लगा।
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होली किस तरह मनाई जाती है
holi को इंडिया के हर राज्य में अलग अलग तरह से मनाया जाता है। उतर भारत में लोग एक दूसरे को रंग लगाते है। मथुरा के आस पास holi festival कई कई दिन चलता है। वहां मर्द औरतो को रंग लगाते है और औरते मर्दो को डंडे से मारती है। बहुत से स्थानों पर फूलो से होली खेली जाती है। कुछ स्थानों पर होली को शाम के समय में जलाया जाता है।
सावधानी जो holi में बहुत जरुरी है।
1.होली के चलते कभी भी किसी के आंख ,कान में रंग मत लगाए।
2.नशे का सेवन न करे।
3.हल्की तरह का रंग यूज़ करे।
4.बजुर्गो को न परेशान करे।
5.जानवरो पर रंग न डाले।
6.पेड़ो को कोई हानि न दे।
7.बच्चों को अपनी निगरानी में रखे खासकर जब वह holi खेल रहे हो।
लड़ाई झगडे से दूर रहे।
“रंगों की ना होती कोई जात
वो तो लाते बस खुशियों की सौगात
हाथ से हाथ मिलाते चलो
होली हैं होली रंग लगाते चलो”
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