RITHA MITHA SAHIB GURUDWARA HISTORY IN HINDI || देख लिया मर्दाने लाल
1A; का रंग। उस परमात्मा ने हमारे सभी श्वास और खाने का हिसाब अपने हाथों में रखा हैं।RITHA MITHA SAHIB GURUDWARA HISTORY IN HINDI
अगर हम दुनिया के सबसे मीठे फल की बात करे , तो वह नानक मते से पचास किलोमीटर रीठा मिठा में मिलेगा। एक दिन भूख से तंग मर्दाने ने श्री गुरु नानक देव जी से कुछ खाने की इच्छा व्यक्त किया । गुरु साहिब ने कहा कि वे रीठे का पेड़ है , उस से कुछ रीठे तोड़ कर खा ले । मर्दाना ने कहा कि वह तो जहर से कड़वे है । पहले तो मर्दाने ने टाल मटोल की फिर कुछ रीठे तोड़ कर खा लिए। जिस पेड़ से मर्दाने ने रीठे खाए थे,उस पेड़ के आधे रीठे आज भी मीठे है । गुरु जी ने कहा: मर्दाने अगर मिल बाँट कर एक साथ खाएंगे तो यह कड़वे नहीं लगेंगे।तुम लालच मत करना लालच ने बहुत बड़े बड़े जहाजों को डूबा दिया है।
RITHA MITHA SAHIB GURUDWARA HISTORY IN HINDI
पल्ले से मत बांधना।मर्दाने को रीठे खा कर बहुत आनंद मिल। मर्दाने की भूख शांत हुई और मन को शांति मिली । लेकिन गुरु जी ने कहा था कि वह लालच मत करे वह इस बात को भूल गया। और चादर के एक तरफ रीठे बांध लिए, के दुबारा फिर भूख लगेगी तो खालूँगा !! रस्ते में मर्दाने को फिर से भूख लगी तो उसने बहुत सारे रीठे मुँह में भर लिए। फिर लगा हए हए करने , कभी जमीन पर लिटने लगा कभी छिलने लगा । गुरु पातशाह जी दया के घर आए और पास ही उगी एक घास का रस मर्दाने के मुंह में डाला और कहा देख लिया मर्दाने लालच का रंग । उस परमात्मा ने हमारे सभी श्वास और खाने का हिसाब अपने हाथों में रखा हैं।
RITHA MITHA SAHIB GURUDWARA HISTORY IN HINDI