Guru Nanak Dev Ji History Hindi Language || गुरु साहिब जी जिंदगी प
र एक झलक। बहुत कम लफ्ज़ो में। 101 % असल इतहास केवल हिंदी और पंजाबी में।Guru Nanak Dev Ji History Hindi Language
- माता पिता :- तृप्ता जी ,मेहता कालू जी
- जन्म स्थान :- रॉय भोए की तलवंडी ,ननकाणा साहिब ( पाकिस्तान )
- जन्म तिथि :- 15 -4 -1469 ई : , वैसाख सुदी 3 ( 20 वैसाख ) संमत 1526
- धर्मपत्नी :- माता सुलखणी जी
- संतान :– बाबा श्री चंद जी ,बाबा लख्मी दास जी
- गुरयाई :- प्रकाश समय से 70 साल 1539
- नगर स्थापित किए :- करतारपुर ( पाकिस्तान ) रावी के किनारे 1504 ई : (संमत 1561)
- जोति जोत :- 22 -9 -1539 ई : (अस्सु सुदी 10 संमत 1561 )
- बाणी रची :- जपजी साहिब ,सिद्ध गोष्ठ ,सो दर ,सोहिला ,आरती ,रामकली ,दखणी ओंकर ,आसा दी वार ,मलार ,माँझ ,बारह माह ,कुल शब्द 974 19 रागो में।
- आयु :- 70 साल
- आपके समय के हुक्मरान :- बहलोल, सिकंदर , इब्राहिम लोधी ,बाबर और हिमाऊ।
बचपन
श्री गुरु नानक देव जी आप ही निरंकार थे। आप सिखो के पहले गुरु तथा पहले मार्ग दर्शक है। आप के पूर्वज सूरजवंशी राजे रघु , बेदी खानदान के थे। उनमे से राम नारयण उनके के बेटे शिवराम हुए। शिवराम जी और उनकी पत्नी बनारसी देवी जी के घर दो पुत्र हुए। कालू चंद जी का जन्म 1497 बि: (1440 ई 🙂 को और लालू चंद का जन्म 1501 बि: (1444 ई 🙂 हुआ। माता तृप्ता जी ,पिता मेहता कालू जी के घर आप जी का जन्म 15 -4 -1469 ई : , वैसाख सुदी 3 ( 20 वैसाख ) संमत 1526 दिन बुधवार समय सुबह का रॉय भोए की तलवंडी ,ननकाणा साहिब ( पाकिस्तान ) में हुआ।
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आपके जन्म समय दाई दौलता ने सब से पहले आपको देखा। नौ दिन पूरे होने पर पंडित हरदयाल ने आपका नाम नानक रखा। सात साल की आयु में आप पांधे के पास पढ़ाई के लिए गए। नौ साल की आयु में हिंदु रीति के अनुसार जंजू पहनाने की रीति हुई लेकिन आप ने नहीं पहना। दस साल की आयु में आपने घर के काम करने शुरु कर दिए। तलवंडी में आप ने 32 साल बिताए।
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काम धंदा
आपने अपने बहुत से काम किये। बचपन मे आपको को आपके पिता जी ने 20 रुपए देकर वपार करने को कहा। आपने उनसे साधू लोगो को भोजन करा दिया। पशु चराने भेजा तो फसल खराब का दोष आप पर लगा। मोदी खाने में आपने नौकरी की वहां भी आप पर हिसाब किताब में खराबी का दोष लगाया गया। आप ने जितने भी काम किये सब में आपने प्रभु की भगति को ज्यादा अहिमत दी। प्रभु ने भी आपके अपने में समा कर अपना रुप ही बना लिया। प्रभु की भगति करते करते आप ने अपने वयापार में कभी घाटा नहीं खाया।
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शादी और संतान
आपकी शादी 15 साल की आयु में हुई। आपकी कुड़माई वैसाखी वाले दिन हुई। आपजी की शादी बटाला के रहने वाले भाई मूला जी की स्पुत्री बीबी सुलखनी के साथ हुई। आपकी ग्रस्थ जीवन भगवान् का नाम जपते जपते बहुत अच्छा गुज़रा। 1596 ई : में आपके घर बाबा श्री चंद जी का जन्म हुआ। दो साल के समय बाद बाबा लख्मी दास जी का जन्म आपके ग्रह में हुआ। उसके बाद आप सुल्तानपुर चले गए वहां आप ने अपने जीवन के साढ़े चार साल बिताए। यहाँ रहकर आपके पास भाई मर्दाना जी आए। हम आपको यह जरुर बताना चाहगे के सुल्तानपुर से ही गुरु नानक देव जी ने अपनी पहली उदासी की शुरुआत की थी। पहली उदासी 1564 ई : से 1572 ई : तक की जिसे 8 साल का समय लगा।
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पहली उदासी के समय आप यहां यहां गए।
ऐमनाबाद , सांई बुढ़नशाह से कीरतपुर में मेल ,हरिद्वार में पानी देने का भर्म तोडा ,नानक मता में रीठे मीठे किये , अयोध्या ,प्रयाग ,बनारस ,पटना ,गोरखपुर ,आसाम ,धनपुर ,जगन नाथ पूरी में आरती की मेहमा ,रामेश्वर ,संगला दीप ,पश्चिम में सोमनाथ मंदिर ,ओंकार मंदिर ,कोड्डा राक्षश ,बीकानेर ,पुष्कर राज ,मथुरा ,ब्रिंदाबन ,दिल्ली ,पानीपत , करनाल,कुरक्षेत्र , गए।
दूसरी उदासी
आपकी दूसरी 1574 ई : को शुरु और 1575 ई : को खत्म हुई। इस उदासी के समय आप करतारपुर से उत्तराखंड ,पसरुर ,स्यालकोट ,ऐमनाबाद ,सुमेर पर्वत पर गए। लौटते समय आपकी भेंट मूले खत्री के साथ हुई। जो स्यालकोट का रहने वाला था।
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तीसरी उदासी
तीसरी उदासी आपकी लगभग तीन साल की थी। इसमें आप पाक पटन ,तुलंबा ,बहावलपुर ,रोहड़ी सख़्र ,साध बेला ,मक्काः ,मदीना ,बगदाद ,बल्ख ,बुखारा ,काबुल,पिशोर ,हसन अब्दाल ,भोहरा ,डिंगा गुज़रा ,ऐमनाबाद ,गए।
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जोति जोत
तीनो उदासी को खत्म कर आप जब वापस आए तो आपने करतारपुर में रहने का मन बना लिया। संमत 1578 में आप करतारपुर आ गए। आप संमत 1596 तक वहां रहे। अंत के समय में आप ने खुद अपने हाथो से खेती की हल जोते और अपने सिखों को नाम जपने तथा किरत करने का उपदेश दिया। संमत 1596 को लहणा जी को गुरयाई दी अंत आप 22 -9 -1539 ई : (अस्सु सुदी 10 संमत 1561 ) जोति जोत समा गए। तमाम जीवन में आपने जपजी साहिब ,सिद्ध गोष्ठ ,सो दर ,सोहिला ,आरती ,रामकली ,दखणी ओंकर ,आसा दी वार ,मलार ,माँझ ,बारह माह ,कुल शब्द 974 19 रागो में बानी रची। आपकी तमाम आयु 70 साल हुई।
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