Guru Hargobind Sahib Ji History In Hindi Language || गुरु साहिब जी जिंदग&
#x940; पर एक झलक। बहुत कम लफ्ज़ो में। 101 % असल इतहास केवल हिंदी और पंजाबी में।Guru Hargobind Sahib Ji History In Hindi Language
- माता पिता :- माता गंगा जी ,श्री गुरु अर्जन देव जी
- जन्म स्थान :- गुरु की वडाली जिला अमृतसर
- जन्म तिथि :– 14 -6 -1595 ई : , हाड़ वदी 6 , संमत 1652
- धर्मपत्नी :- दमोदरी जी ,नानकी जी ,महादेवी जी ,
- संतान :– गुरदित्ता जी ,अणि राय, अटल राय, तेग बहादुर , सूरज मल ,बीबी वीरो जी ,
- गुरयाई :- 25 -5 -1606 , 29 जेष्ठ वदी 14 संमत 1663 ( 38 वर्ष )
- नगर स्थापित किए :- कीरतपुर (1626 ई : ) , भाई रुपा फ़िरोज़पुर ( 1628 ई: )
- जोति जोत :- 3 -3 -1644 ई : ( 7 चैत्र सुदी 5 संमत 1701 , कीरतपुर )
आयु :- 49 साल - आपके समय के हुक्मरान :- , जहांगीर , शाहजहान ,
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Hजन्म और बचपन
श्री हरगोबिंद साहिब जी गुरु नानक देव जी महाराज की छेवी जोत हुए है। गुरु अंगद देव जी ,गुरु अमरदास जी और गुरु रामदास जी की तरह आप जी ने सिखो का मार्गदर्शन करा। आप जी का जन्म बाबा बुढ़ा जी के बचनों से 14 -6 -1595 ई : , हाड़ वदी 6 , संमत 1652 को माता गंगा जी ,श्री गुरु अर्जन देव जी के गृह में गुरु की वडाली जिला अमृतसर में हुआ। आप जी के जन्म होने तक गुरु अर्जन देव की महाराज हरिमंदिर साहिब जी का निर्माण संपूर्ण करवा चुके थे। आप जी के जन्म होने से पहले से ही प्रिथी चंद ने आप को जान से मारने के यत्न शुरु कर दिए थे। पहले हमले में एक दाई को जहर देकर भेजा वह आप तक जाने से पहले ही रस्ते में मर गई। दूसरे हमले में एक सपेरे ने जहरीले साँप से और तीसरे में एक खिड़ावे को दही में जहर मिलाने को कहा लेकिन उसकी सब चाले बेकार गई। थोड़े बड़े होने पर आप जी ने बाबा बुढ़ा जो पास हकीमत ,ज्योतिष , शास्त्र ,खेतीबाड़ी ,और निति शास्त्र पढ़ा। आप जी को घोड़सवारी ,नेजा बाजि, तीर अंदाज़ी , बंदूक चलाना ,भाई जेठा जी से सीखा। आप के बचपन में ही समय की हकूमत के साथ टकराव का महोल बनता जा रहा था। इस लिए आप का बचपन गुरबाणी और विद्या सीखने में ही गुजरा।
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शादी और संतान
आप जी की शादी से टकराव और बड़ा जब चंदू की लड़की का रिश्ता संगत के कहने पर आपने वापस कर दिया था। आप जी की शादी डरोली के रहने वाले भाई नारयण दास जी की सपुत्री बीबी दमोदरी जी का साथ हुआ। तब आप जी की आयु 10 साल की थी। आपकी दो शादीया और हुई। आप जी के गृह में बाबा गुरदित्ता जी का जन्म 1613 ई: , बीबी बीरो जी का जन्म 1615 ई:, बाबा अणि राय जी का जन्म 1618 ई: , बीबी दमोदरी जी की कोख से हुआ। 1617 ई: में बाबा सूरज मल जी का जन्म बीबी महादेवी जी की कोख से हुआ। 1619 ई: में बीबी नानकी जी ने अटल राय,( तेग बहादुर) को जन्म दिया।
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गुरता का मिलना
जहाँगीर अभी गददी पर बैठा ही था की खुसरो ने बगावत कर दी। इसका सारा इलज़ाम बना कर गुरु अर्जन देव जी पर लगा उन्हे शहीद कर दिया गया। शहीद होने से पहले बाबा बुढ़ा जी से गुरु अर्जन देव जी ने बात की और आप जी की पर्ख की गई। हरमंदिर साहिब में दीवान सजाए गए। 25 -5 -1606 , 29 जेष्ठ वदी 14 संमत 1663 ( 38 वर्ष ) को आप जी को संगत के बीच गुरता की जिमेवारी दी गई। गुरता मिलने के कुछ दिन पश्चात गुरु अर्जन देव जी की ग्रिफ्तारी हुई। उन्हें लहौर में शहीद कर दिया गया। इन सब का आप पर बहुत प्रभाव पड़ा।
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नगर स्थापित किये
आप जी को बंदी शोड भी कहा जाता है। सिख इतहास में पहली जंग 1628 ई : में अमृतसर में हुई। आप जी ने जीवन में चार जंग किये। 1630 ई : 1631 ई : /32 /34 में हरगोबिंदपुर ,मेहराज और करतारपुर में हुए। इसी दौरान आप जी ने सिख धर्म का प्रचार किया। आप जी ने तमाम जिंदगी में कीरतपुर (1626 ई : ) , भाई रुपा फ़िरोज़पुर ( 1628 ई: ) नगर वसाए। आप जी के जीवन से ही सिख धर्म में एक नई क्रांति आ गई। जिसका आगे चल कर बहुत प्रभाव पड़ा।
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जोती जोत
आप जी करतारपुर में आकर रहने लगे। वहां आप जी ने गुरु घर का प्रचार किया लोक हित के बहुत से काम किये। कुँए और धर्मशाल बनवाए। आप जी के खिलाफ बहुत सी साज़िशे होने लगी जिसमे धीरमलीए सब आगे रहे। आप जी पर बहुत से वार हुए लेकिन दुश्मन को हर बार मुँह की खानी पड़ी। इन सब को देखते हुए आप जी ने गुरु हर राय जी को गुरता की जिमेवारी संभाल दी। आपजी अपना समय कीर्तन सुनकर वयतीत करते। अंत आप 3 -3 -1644 ई : ( 7 चैत्र सुदी 5 संमत 1701 , कीरतपुर ) में आप सचखंड चले गए।
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