Bhai Tiloka Ji || Guru Arjan Dev ji के समय में। 100% HINDI

Bhai Tiloka Ji || Guru Arjan Dev ji के समय में हुए है। एक ज

4B;गी के साथ सच्ची घटना जिसने गुरु घर के लिए सब की सोच बदल दी। एक ओंकार सतनाम करते ……

Bhai Tiloka Ji

lachi लोग इस दुनिआ में भरे पड़े है। इस दुनिआ में हर इंसान lalchi है लेकिन हर इंसान का लालच अलग अलग है। एक बार Bhai Tiloka Ji जो गढ़शंकर के रहने वाले थे उनके साथ अजीब घटना घटी। उनके गायों में एक बड़ी आयु का jogi आ गया। jogi की समाधि देख लोग बहुत खुश हुए और सभी गायों वाले उस jogi की एक झलक पाने के लिए उसके डेरे में गए। jogi ने जब समाधि खोली तो सारे गायों में ढिंढोरा पिटवा दिया की जो भी jogi जी का दर्शन करेगा उसको एक साल का स्वर्ग सुख मिलेगा। सारा गायों jogi जी के दर्शन के लिए पोहंचा। jogi ने पूछा की कोई बाकी रह तो नहीं गया। भीड़ में से एक बोला की Bhai Tiloka Ji नहीं आया। jogi ने कहा जाओ उसको बोलो तुम दो साल का स्वर्ग सुख मिलेगा अगर तुम दर्शन कर लो। लेकिन Bhai Tiloka Ji ने आने से साफ़ मना कर दिया।

Bhai Tiloka JiBhai Tiloka Ji

जा सब सुनकर jogi आग बबूला हो गया और खुद ही भाई तिलोका जी को मिलने जा पहुँचा। भाई तिलोका जी जोगी को jogi को देख कर अंदर छिप गए। jogi लगा मिनत करने के एक बार आकर मुझे देख तो लो लेकिन भाई तिलोका जी ने साफ़ मना कर दिया।आप उस jogi से बोले की मुझे इस दुनिआ की सुख से कोई वास्ता नहीं है तुम जाओ झा से मुझे तुम्हारे दर्शन की कोई आवश्कता नहीं है। बात न बनती देख सारे गायों के सामने बेईज़त महसूस करते हुए जोगी बोलै तुम्हे तुम्हारे गुरु की कसम एक दफा मेरे सामने आ जाओ और ऐसा ज्ञान देने वाले अपने गुरु से मेरी भेंट करवाओ फिर भाई तिलोका जी बाहर आए। फिर आप उस jogi को साथ लेकर श्री guru Arjan dev जी की शरण में चल पड़े। रास्ते में बातो बातो में भाई तिलोका जी ने श्री guru Arjan dev जी की आयु 40 वर्ष बताई।

Bhai Tiloka Ji

आयु सुनकर jogi ने जाने से मना कर दिया। थोड़ा हाथ करने के बाद jogi बोलै मेरी उम्र 300 वर्ष है 40 वर्ष का तुम्हारा गुरु मेरे को क्या उपदेश देगा। फिर jogi गुरु जी के पास जाने के लिए तैयार हो गया जब गुरु जी के पास jogi पहुँचा तो श्री guru Arjan dev जी एक तंबू में बैठे थे। jogi को देखकर गुरु जी ने पूछा की तुम्हारी एक कान की मुंदर कहाँ है। jogi बोला जी मेरा तो एक कान ही नहीं है। jogi की सारी बात सुनने के बाद गुरु जी ने एक कान जोगी के हाथ पर रख दिया और उसमे मुंदर भी डली हुई थी। यह वही कान था जो एक दफा समंदर से गुज़रते हुए उस जोगी का मछली ने काट खाया था और सभ से बड़ी बात इस घटना को हुए तो 200 साल गुज़र चुके थे। जे सब देख जोगी का मन बहुत पछताया और गुरु जी से बोले गलत वचनो के लिया खिमा मांगी। उस दिन से वह जोगी सारे lalchi बातो को छोड़ श्री guru Arjan dev जी के चरणों में सेवा में जुट गया। lalchi इस साखी से पता चलता है की गुरु जी कितनी बड़ी सोच के मालिक थे।

एक ओंकार सतनाम करते हुए हम सभ को भी अपनी जिंदगी जीनि चाहिए।

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