Bhai Taru Popat Ji || दुनिआ के जीवन मृत्यु के चक
्र से मुक्ति || मैने देखा की सबसे पहले आग छोटी छोटी लकड़ो को लगी फिर बड़ी लकड़ी भी जलने लगी तो मेरे मन में डरBhai Taru Popat Ji
आग से लड़ने की ताकत रखना भाई तारु पोपट जैसे सिखों के हिस्से में आया है। Bhai Taru Popat Ji पहली पातशाही shri guru nanak dev को मिले थे। उस समय आप की उम्र १० साल के आस पास रही होगी जब आप ने पहली पातशाही के दर्शन किये थे। जब मिले तो साहिब के आगे बहुत अदब से सर झुखाकर बिनती की और बोले साहिब मैने सुना है की जो साधु संतो की शरण में जाते है उनके मन शांत हो जाते है और इस दुनिआ के जीवन मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है।
Bhai Taru Popat Ji
तब साहिब shri guru nanak dev ji बोले :-भाई तारु तेरी उम्र बहुत कम है। अभी तो तुमने दुनिआ का कोई रंग भी नहीं देखा और घर में कोई सुख भी नहीं लिया तुम्हे प्रभु की बात कहाँ से याद में आ गई।
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तब भाई तारु बोले :-जी मेरी माँ ने चूले में आग लगा रही थी तो मैने देखा की सबसे पहले आग छोटी छोटी लकड़ो को लगी फिर बड़ी लकड़ी भी जलने लगी तो मेरे मन में डर पैदा हो गया की मृत्यु का कोई भरोसा नहीं है पता नहीं कब आ जाये। इस लिए आप के चरणों में आया हु। तो साहिब
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shri guru nanak dev ji बोले :-तारु तू कुल को तारेगा। धर्म की कृति कर बाँट खावना,हर सांस में waheguru waheguru स्मरण करना ,मन को हमेशा निर्मल रखना। समझाते हुए साहब बोले की एक राजा ने एक अद्भुत महल बनवाया। उसकी एक दीवार को सोने और हीरो से बनवाया और उसकी सामने वाली दीवार को आईना लगा कर बनवाया। इस तरह करने से आयने वाली दीवार में भी सोना और हीरे नज़र आने लगे। इसी तरह भाई तारु तुम अपना जीवन बतीत करना। हर समय waheguru waheguru का जाप करना।
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हर समय भजन करना। आए सिख संगत सभ की सेवा करनी। सभी के साथ मीठा बोलना। किसी का भी दिल मत दुखाना। समय बीतता गया और साहिब के दिए बचने से भाई तारु ज़िंदगी जीने लगे। अचानक एक दिन गाँव में आग लग गई। चारो तरफ हफडा दफ्डी मच गई। लोग इधर उधर भागने लगे। जब भाई तारु को पता चला तो वह आग बुझाने के लिए पानी की बाल्टी लेकर दौड़े। लोगो ने आप को बहुत रोकने प्रयास किया लेकिन आप नहीं रुके। आप का दृढ़ मन देखकर गाओ वाले भी आप के साथ आग बुझाने लगे। इस तरह आप जी ने मनो के अंदर की आग को ठंडा किया और साडी ज़िंदगी waheguru waheguru करते गुज़ारी।
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