Bhagat Sain Ji An Introduction || भगत जी का जीवन 1390 ई : से 1
440 ई : का कहा जाता है। आपजी राजस्थान के रहने वाले थे। जीवन की जानकारी..Bhagat Sain Ji An Introduction
साहिब श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में पंद्रह भगत सहबान की बाणी दर्ज है। इन में भगत सैन जी का नाम बहुत अदब से आता है। इस पोस्ट में आपको भगत जी के संपूर्ण जीवन की जानकारी दी जाएगी। अगर आपको यह पोस्ट अछि लगे अथवा आपके पास कोई भी ,किसी भी धर्म की जानकारी हो तो हमे कमेंट ,ईमेल में लिखे। हम वह जानकारी इस साइट पर सबके साथ सांझी करेंगे। पूरी जानकारी के लिए पोस्ट को पूरा पढ़े।
Bhagat Sain Ji An Introduction
साहिब श्री गुरु ग्रंथ जी महाराज में भगत सैन जी का एक शब्द दर्ज है। भगत जी का जीवन 1390 ई : से 1440 ई : का कहा जाता है। आपजी राजस्थान के रहने वाले थे। भगत सैन जी ऐसे भगत है जो भगत कबीर जी को सुनकर ही भगति मार्ग पर चले। भगत जी रात के समय प्रभु की भगति में लीन रहते सुबह होते ही राजा के दरबार में काम करने जाते। कहा जाता है कि एकबार रास्ते में भगत जी को साधू संत मिल गए। भगत जी संत महात्मा घर ले गए। घर में आए मेहमानो के लिए भोजन का प्रबंध किया गया।
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भोजन के बाद प्रभु की उसतति में जुड़ गए। बातो बातो में रात हो गई। रात होने के कारण भगत जी का राजा के पास काम पर जाने होंसला। भगत सोचने लगे राजा बहुत गुस्सा होगा। काम पर ना आने का कारण भी पूछेगा। हो सकता है उसने मुझे काम से निकाल ही दिया हो। इसमें भगत जी कोई गलती न थी। भगत जी उनसे बातें करने में इतना खो गए की राजा के पास काम पर जाना भूल गए। उस समय प्रभु ने भगत जी के स्थान वहां काम किया। जब भगत जी को ख्याल आया तो वह राजा के पास गए।
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वहा जाकर भगत जी न आने के बारे में बोलने ही लगे थे के राजा ने अपने गले से हार निकाल भगत जी को दे दिया। राजा बोला आज तूने मेरा मन जीत लिया। इस से पहले भगत जी कुछ बोलते राजे ने सब बोल दिया। ऐसे प्रभु ने अपने प्यारे भगत की लाज रखी। भगत सैन जी भगत कबीर जी के समय में हुए। आप जी स्वामी रामानंद के शिष्य थे। आप जी राजा बादवगढ़ ( रीवा ) के पास सेवादार थे। जैसे की एक सेवादार का काम होता है , मालिश करना ,कपड़े पहनाना ,नाख़ून काटना ,दाढ़ी बाल बनाना , हाथ पाओं की मालिश करना।
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यह सब काम आप जी राजा के पास रहकर किया करते थे। आपजी की आवाज़ बहुत मीठी थी। हर समय स्वामी रामानंद जी के श्लोक गाते रहते। गांव में सभी भगत जी का बहुत सतकार करते। हर कोई मीठी आवाज़ सुनकर मंत्र मुग्द हो जाता। उस दिन भी जब राजा को आपने सच सच सब बता दिया था। राजा वीर सिंह आपजी की मेहमा को समझ गया। उसी दिन से आपकी मेहमा और बढ़ गई। राजा खुद हैरान परेशान रह गया जे सब देख। उसी दिन से से ही नाई समाज को राज दरबार में पूजा जाने लगा।
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प्रभु भी अपने भगतो की ऐसे इज्जत को ढकंते आए है। ऐसे थे हमारे भगत सैन जी। जिनकी भगति ने लोगो के साथ साथ प्रभु का भी मन जीत लिया।
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