Bhagat Sadhana Ji An Introduction | भगत सधना जी का सम्पूर्ण जीवन

Bhagat Sadhana Ji An Introduction | भगत सधना जी के जीवन

की बहुत मशहूर घटना | साल ग्राम की घटना ,बकरे की घटना,विभचारण स्त्री

bhagat sadhana ji an introductionBhagat Sadhana Ji An Introduction

साहिब श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में पंद्रह भगत सेहबान की बाणी दर्ज है। गुरु साहिब जी की बाणी ही एक मात्र ऐसी बाणी है जिसे कोई भी जाति ,धर्म ,रंग ,रुप, कहने का मतलब कोई पढ़ सुन सकता है। इन पंद्रह भगत सेहबान में भगत सधना जी का नाम भी बहुत अदब से लिया जाता है। आपको इस पोस्ट में भगत जी के जीवन के बाबत तमाम जानकारी मिल जाएगी। आपको कहीं कोई कमी लगे तो हमे जरुर कमेंट करे। तो चलिए शुरु करते है।

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साल ग्राम की घटना Bhagat Sadhana Ji An Introduction

भगत सधना जी सिंध के इलाके के रहने वाले थे। भगत जी का जीवन समय 1270 ई : से 1350 ई : का रहा। श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी में आपका उचारा हुआ एक शब्द दर्ज है। आपके पिता पुर्खी कसाई का काम करते थे तो आपको यह कसाई का काम विरासत में मिला था। आप बचपन से शांत चित रहते थे। कसाई का काम भी आप बहुत ईमानदारी से करते थे। आपके जीवन की बहुत सी घटनाए प्रचलित है। कहा जाता है के आपके पास एक साल ग्राम का पथर था। आप उसकी पूजा भी करते और उससे मांस भी तोलते थे। कुछ लोगो को भगत जी का ऐसा करना गवारा न था। एक दिन एक साधु आपसे हठी करकर वह साल ग्राम पथर ले गया। रात को साधु को एक सपना आया। वह देखता है पथर उसको बोल रहा था की सधना तो उसकी पूजा करता था हर समय भगवान का स्मृण करता था और तूने मुझे एक कोने में फेंक दिया। दूसरे दिन ही वह साधु आपको साल ग्राम पथर लोटा गया।

बकरे की घटना Bhagat Sadhana Ji An Introduction

दूसरी घटना जो बहुत मशहूर है वह आपके जीवन की उसमे एक बार राजा के रसोइए को मांस की जरुरत पड़ गई। भगत जी मांस खत्म कर घर में विश्राम कर रहे थे। तभी राजा के रसोइए आए आप जी ने मांस न होने के कारण उन्हें मना कर दिया। वह वापस चले गए। राजा ने दुबारा फिर रसोइए भेजे। इस बार रसोइए ने कहा मांस अवश्य चाहए कहीं से भी थोडा इंतजाम कर दो। इतना कहने पर भगत जी ने हाँ कर दी। भगत जी बकरे को काटने के लिए आगे बढ़े तभी उन्हें ख्याल आया के रात के समय कटा हुआ बचा मांस नहीं बिकेगा। सुबह होते होते यह खराब हो जायगे। भगत जी ने सोचा ऐसा करते है की इसके गुप्त अंग का हिस्सा काट लेते है। इससे बकरा बच जाएगा और उन्हें जितना मांस चाहए उतना तो हो ही जायगा। सधना जी जब बकरे के पीछे गुप्त अंग काटने के लिए बैठे तो तभी बकरा हसने लगा। हस्ता हुआ बकरा बोला सधने यह कौनसा नया हिसाब शुरु करने लगा है। पहले तो ऐसा कभी नहीं हुआ। सधना जी हैरान हो गए की यह बकरा कैसे हसने बोलने लगा। बकरे ने बताया की पहले हर जन्म तुम मुझे और मै तुझे काटता आया हूँ। भगत जी यह सभ सुन सन रह गए। कहते है के इस घटना ने आपका मन बदल दिया। राजा ने आपको मांस न देने के कारण जेल में डाल दिया।

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विभचारण स्त्री Bhagat Sadhana Ji An Introduction

जेल में डालने की एक और घटना जिसे आपके जीवन में घटी बताया जाता है। बकरे की घटना के तुरंत बाद आप जी ने कसाई का काम छोड़ दिया। आप जी प्रभु भगति में लीन रहने लगे। एक बार सधना जी जगन्नाथ पुरी में दर्शनों के लिए जा रहे थे। सिंध से चले थे आप। जगन्नाथ पुरी से थोड़ा पीछे आपको रात हो गई। आपके मन मै आया किउ न यही रुक जाऊ। भोजन किसी गृहस्थि से मांग कर खा लेता हु। भगत जी ने भोजन के लिए एक घर का दरवाजा खटखटाया। एक औरत ने दरवाजा खोला। उसकी आयु २० के आस पास थी। उस औरत का पति बीमार भूढा था। सधना जी को देख वह बहुत स्नेह से बोली धन है हम जो आप हमारे गृह आए।

Bhagat Sadhana Ji An Introduction

उसकी श्रद्धा देख भगत जी उसके आंगन में ही बैठ गए। उस औरत ने भगत जी को भोजन दिया। सोने के लिए बिस्तर भी दिया। भोजन करवाते समय उस स्त्री ने सधना जी का सारा भेद ले लिया। रात के समय भगत जी जब सो रहे थे तभी वह स्त्री शृंगार कर भगत जी के पास काम वासना लेकर आ गई। भगत जी ने उसे बहुत समझाया। वह स्त्री मानने को नहीं थी। उसने अपने पति का सिर काट कर भगत जी के आगे रख दिया। सधना जी यह सभ देख बहुत दुखी हुए। भगत जी ने स्त्री से कहा तुम पापन हो ,चंडाल हो ,इन सभ की तुझे नर्क की सज़ा मिलेगी। यह बोल सधना जी घर से जाने ही लगे थे कि उस औरत ने शोर मचा दिया।

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वह बोलने लगी इस साधु ने मेरे पति को मार दिया। शोर सुन लोग जमा होने लगे। लोगो ने सधना जी को पकड़ कर राजा के पास पेश कर दिया। राजा ने सधना जी के दोनों हाथ काटने का हुक्म किया। सधना जी के दोनों हाथ काट दिए गए। सधना जी ने उस समय भगवान को बोलै के यह तूने मेरे साथ क्या किया। उस समय जो उन्होंने बोला वह शब्द गुरबाणी में दर्ज है। बाद में राजा को सचाई पता चली तो उसने उस औरत को जिंदा गड़वा दिया। ऐसे भगत जी को बिना जुर्म की सज़ा भोगनी पड़ी। सधना जी का देहांत पंजाब में हुआ। सरहंद के नज़दीक उनकी समाध बनी हुई है। ऐसे थे हमारे सधना जी। अगर आपके पास भी किसी भी धर्म की कोई जानकारी हो जिसे सब के साथ शेयर करना चाहए तो हमे ईमेल अथवा कमेंट करे।

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