Baba Farid Ji History In Punjabi Language || फरीद जी ने मां के वादे
15;ो निभाया और कौआ को उड़ने के लिए केवल बिनती की लिए कहा,और वह आप से दूर चला गया…BABA FARID JI HISTORY IN PUNJABI LANGUAGE
बाबा फरीद जब जंगल में भगति करने गए और भूखे रह रहकर बहुत कमजोर हो गए। भूख होने के कारण शरीर में बैठने की शक्ति भी नहीं बची। शरीर का खून सूख गया और हड्डियों के कंकाल बन गया, जिस में सिर्फ सांस चलती थी। कौआ ने उसे मृत व्यक्ति समझा और पाओ से नोचना शुरू कर दिया। बाबा जी का शरीर में थोड़ी हलचल हुई सा, फिर एक कौवा आया और बाबा फरीद जी की छाती पर बैठ गया। कौवा ने फरीद जी की आंखों में अपनी चोंच से परहार करने का प्रयास किया। बाबा फरीद को कौआ की मंशा जान गए , और उन्होंने कहा,
baba farid ji history in punjabi language
कागा करंग धंडोलिया सगला खाया मांस ..
ए दुए नैना मत छूओ पिर देखन की आस ..
इस बात को सुनने के बाद, कौआ ने जिगर के मांस को नोचना शुरू कर दिया , और फिर आप ने फिर से कहा –
कागा चूंध न पिंजरा बसे ता उडर जाए ..
जितू पिजरे मेरा साहू बसे मासु न तिडू खाए ..
baba farid ji history in punjabi language
कौआ जे सभ सुन के उड़ गया, और आप वे जगह पर पड़े थे और अल्लाह के शब्दों को दोहराने लगे ।
बाबा फरीद जी ने अपनी मां के पवित्र संदेश को अपने दिल पे लिख लिया था । माँ ने जंगल में आने से पहले आप से कहा था , हे मेरे बेटे! सारी सृष्टि परमेश्वर की संतान है और किसी को दुख देना अच्छा नहीं है। क्योंकि माता पिता संतानों का बुरा करने वालो को अच्छे नहीं लगते । जो अपने माता-पिता को खुश करना चाहते हैं, उन्हें सभ से प्रेम करना चाहिए। फरीद ने पेड़ों की पत्तियों को तोडना छोड़ दिया, और कौआ को हाथ से डराने की बजाए ,उडने की बिनती की । आप ने कहा के मेरी आँखों को मत खाना क्योंकि उस्समे अल्लाह की जगा है। में उसको देखने का इंतजार कर रहा हु, मेरे दिल में उनकी जगह है।
baba farid ji history in punjabi language
यदि आप चाहते, तो आप हाथ का डर दिखाकर कौआ को उड़ा सकते थे। लेकिन कौआ को भगवान के वंश समझकर आप ने हाथ का डर नहीं दिखाया। फरीद जी ने मां के वादे को निभाया और कौआ को उड़ने के लिए केवल बिनती की लिए कहा,और वह आप से दूर चला गया।
baba farid ji history in punjabi language